Jument
Lighthouse की रहस्यमयी और डरावनी सच्चाई!
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Jument Lighthouse |
यह है फ्रांस के पश्चिमी तट पर मौजूद जुमेंट लाइट
हाउस जहां कीपर की नौकरी करने के लिए हर साल 2 मिलियन डॉलर यानी करीब 7
करोड़ रुपए की सैलरी मिलती है यानी एक दिन के 4,65,000/- इस जॉब में ना आपका कोई मालिक
है और ना ही कोई नजर रखने वाला काम दिन में सिर्फ एक घंटा और बाकी 23
घंटे आप खटिया डालकर सो जाओ फिल्में देखो फिशिंग करो या छत पर तारे देखो बस एक बात
का ध्यान रखना कि लाइट हाउस के ऊपर की लाइट कभी बंद ना हो सुनने में य आपको दुनिया
की सबसे बेहतरीन नौकरी लग सकती है लेकिन फिर भी पिछले कई दशकों से किसी इंसान ने जुमेंट
लाइट हाउस पर नौकरी करने की हिम्मत नहीं की मगर ऐसा क्यों आखिर क्यों जुमेंट लाइट
हाउस को दुनिया का सबसे खतरनाक और रहस्यमई लाइट हाउस माना जाता है।
दुनिया में लाइट हाउस की खोज कैसे हुई थी जहां कीपर
की दुनिया की सबसे मुश्किल नौकरियों में से एक माना जाता है आज इन्हीं रहस्यों से
पर्दा उठाएंगे लेकिन उसके पहले प्लीज आप ब्लॉग को लाइक कर दीजिए जमोन लाइट हाउस की
रहस्यमई कहानी जानने से पहले हम समुद्री यात्रा और लाइट हाउस के इतिहास के बारे
में जानते हैं।
आज से करीब 10000 साल पहले बोट यानी नाव की खोज
हुई थी फिर समय के साथ सामान की हेरफेर करने के लिए बड़ी शिप्स बनाई गई लेकिन
प्राचीन समय में जब कंपास या नेविगेशन सिस्टम मौजूद नहीं थे तब समुद्री यात्राएं
बेहद खतरनाक हुआ करती थी अंधेरी रातों में या खराब मौसम में नाविकों को किनारे का
अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता था इसी वजह से कई बार उनकी नावे चट्टानों से टकराकर
डूब जाती थी और हजारों लोग समुद्र में अपनी जान गवा देते थे इतिहास में ऐसे हजारों
किस्से ओर कहानियां हैं जिसमें रात के अंधेरे में बड़े से बड़े जहाज भी हादसे का
शिकार होकर समुद्र में डूब गए हे हजारो लोग मारे गए और पुरानी सभ्यताओं के लिए यह
सबसे बड़ी समस्या थी क्योंकि रात के अंधेरे में जहाज को चारों तरफ पानी के बीच
रुकाया भी नहीं जा सकता था और उन्हें चलाना और भी खतरनाक हो सकता था।
इसी समस्या का समाधान निकाला प्राचीन मिस्र और यूनान
के शासकों ने इस दौर में लोग किनारे पर ऊंची पहाड़ियों या टावरों पर आग जलाते थे
ताकि समुद्री जहाज किनारे का अंदाजा लगा सके लेकिन जहां ऊंचे पहाड़ ना हो वहां अब
भी खूब हादसे होते थे जैसे कि इजिप्ट के शहर अलेक्जेंड्रिया में जो एक कोस्टल सिटी
थी और यहां की अर्थव्यवस्था सिर्फ समुद्री व्यापार पर टिकी थी लेकिन यहां सबसे
बड़ी दिक्कत यह थी कि शहर के चारों किनारों के आसपास कई बड़ी-बड़ी चट्टाने थी जिस
वजह से यहां बहुत हादसे होते थे इसलिए अलेक्जेंड्रिया के राजा ने ग्रीक आर्किटेक्ट
सोस्ट ऑफ कैनेड से मदद मांगी और उन्होंने 280 ईसा पूर्व में दुनिया का पहला
लाइट हाउस बनाया जो था फेरोज ऑफ अलेक्जेंड्रिया यह एक बहुत ऊंचा टावर था जिसके ऊपर
शाम होते ही आग जला दी जाती थी यह सिर्फ एक लाइट हाउस नहीं था बल्कि प्राचीन
दुनिया के सात अजूबों में से एक था इसकी ऊंचाई तकनीक और इंजीनियरिंग इतनी अद्भुत
थी कि यह सदियों तक दुनिया का सबसे ऊंचा मानव निर्मित ढांचा बना रहा।
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Lighthouse |
कहा जाता है
कि इसकी रोशनी 50
किमी दूर से भी दिखती थी जिससे सैकड़ों जहाजों को सुरक्षित किनारे तक पहुंचने में
मदद मिली इससे बनाने में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल हुआ था जो धूप में चमकता था
वहीं जो मिस्र में सिक्कों पर इसकी आकृति अंकित थी जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व पता
चलता है फेरोस ऑफ अलेक्जेंड्रिया को लेकर कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि इसकी
रोशनी इतनी तीव्र थी कि इससे दुश्मन जहाजों को भी जलाया जा सकता था जिसके बाद सवीं
ईसवी से 500
व ईसवी तक रोमन साम्राज्य ने समुद्री व्यापार को मजबूत कर ने के लिए कई लाइट हाउस
बनाए यह लाइट हाउस आमतौर पर पत्थर के बने होते थे और इनमें मौजूद ऊपर जलने वाली आग
को लॉहे को सुरक्षित रखने के लिए एक ढांचा होता था और कुछ रोमन लाइट हाउस आज भी
मौजूद हैं जैसे कि स्पेन की हरकुलिस टावर मगर फिर रोम के पतन के बाद लाइट हाउस का
विकास रुक गया समुद्री यात्राएं भी कम हो गई और कई पुराने लाइट हाउस तबाह हो गए
केवल कुछ ही जगहों पर लाइट हाउस मौजूद रहे जैसे इंग्लैंड और फ्रांस के कुछ बंदरगाह
पर मगर आज से 500
साल पहले सन 1500
में समुद्री खोज का दौर शुरू हुआ क्रिस्टोफर कोलंबस वास्को डेगामा और अन्य नाविकों
ने नई जगहों की खोज की समुद्री व्यापार बढ़ने लगा और इसके साथ ही लाइट हाउस दोबारा
बनाए जाने लगे इस दौर में तेल के लैंप और कांच के लेंस का इस्तेमाल लाइट को तेज
करने के लिए किया जाने लगा और 1665 में इंग्लैंड के डिस्टोन लाइट हाउस दुनिया के पहले
आधुनिक लाइट हाउसों में से एक बना सन 1800 आते-आते लाइट हाउस में अब कई
सालों पहले तेल की जगह केरोसिन लाइट्स का इस्तेमाल शुरू हुआ, जिससे
रोशनी में काफी इजाफा हुआ। इसके साथ ही फ्रेंच लेंस का आविष्कार हुआ, जिसने
लाइट को दूर तक फैलाने में मदद की। हालांकि, उस समय भी लाइट हाउस की संख्या
इतनी कम थी कि समुद्र के किनारे जहाजों के पत्थरों से टकराने के हादसे अक्सर होते
रहते थे।
समुद्र के खतरों का अंदाजा हम इतिहास के एक बड़े
समुद्री हादसे, एसएस
अटलांटिक, से
लगा सकते हैं। यह घटना 1873 के 5 मार्च की रात की है, जब एसएस अटलांटिक उत्तर
अटलांटिक महासागर में सफर कर रहा था। वह रात एक समुद्री तूफान से गुजरने के बाद
जहाज के लोग राहत महसूस कर रहे थे, लेकिन वे नहीं जानते थे कि
असली संकट अभी आना बाकी था। कुछ समय बाद, चारों ओर घना कोहरा छा गया, और
कप्तान को समुद्र में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। कप्तान को अपने कंपास और
लुकआउट्स (जो जहाज के लोग होते हैं, जो चारों ओर नजर रखते हैं) पर
निर्भर रहना पड़ा। करीब 3:15 बजे एक लुकआउट ने शिप से टकराने वाली किसी चीज़ की
आहट सुनी और तुरंत कप्तान को अलर्ट किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी
थी। एसएस अटलांटिक एक चट्टान से टकरा गया, और जहाज में बड़ा छेद हो गया, जिससे
पानी अंदर घुसने लगा। कुछ ही समय में, कभी न डूबने वाला यह जहाज
समंदर में समा गया, और इस दुर्घटना में 580 यात्री अपनी जान गंवा बैठे।
यह घटना उस समय के समुद्री रास्तों के खतरों की गंटी
थी, खासकर
उत्तरी फ्रांस की ब्रितानी कोस्टलाइन के पास, जहां छोटे-बड़े चट्टानें हमेशा
जहाजों के लिए खतरा बनी रहती थीं। इस क्षेत्र के मौसम के कारण समुद्री तूफान आम थे, और
1888
से 1904
के बीच 31
जहाज चट्टानों से टकराकर डूब चुके थे।
1896
में एक और दर्दनाक हादसा हुआ, जब ड्रमंड कैसल नामक जहाज एक चट्टान से टकरा गया और पलभर
में 250
लोग अपनी जान गंवा बैठे। इस घटना के बाद, फ्रांस की सरकार ने फैसला किया
कि इस क्षेत्र में एक शक्तिशाली लाइट हाउस बनाना चाहिए, ताकि
जहाजों को खतरे से बचाया जा सके। इसी निर्णय के बाद, जुमेंट लाइट हाउस का निर्माण
शुरू हुआ, जिसे
फ्रेंच में "लाजमेंट" भी कहा जाता है।
हालांकि, यह काम इतना आसान नहीं था।
अगले दस सालों तक लाइट हाउस बनाने की कोशिशें नाकाम होती रहीं, क्योंकि
हर बार तेज़ लहरें और तूफान इसके निर्माण को नष्ट कर देते थे। 1904
में, जब
एक और जबरदस्त तूफान आया, तो लाइट हाउस का अधूरा ढांचा लहरों में बह गया। ऐसा लगा कि
यह प्रोजेक्ट कभी पूरा नहीं होगा। लेकिन 1911 में, आखिरकार
इसे पूरा किया गया।
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Lighthouse 1 |
जुमेंट लाइट हाउस पर काम करने वाला पहला कीपर महज
पांच महीने में नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो गया। उसने कहा कि यहां पांच महीने
गुजारना किसी चमत्कार से कम नहीं था। इसका कारण था इस लाइट हाउस का बेहद अकेला
स्थान। यह फ्रांस के तट से 300 मीटर दूर स्थित था और चारों ओर गहरे पानी से घिरा
हुआ था। इस लाइट हाउस की ऊंचाई 48 मीटर थी, लेकिन जब समुद्र में बड़ी लहरें उठतीं, तो
यह पूरी तरह से पानी में डूब जाता। लाइट हाउस के कीपर्स को ऐसे हालात में तुरंत
रेस्क्यू की आवश्यकता होती थी, क्योंकि तूफान कभी भी आ सकते थे। यहां की हवाएं इतनी तेज
होती थीं कि कीपर्स खिड़की तक नहीं खोल सकता था, यहां काम करने वाले कई कीपर्स ने
अजीब घटनाओं का सामना किया। 1970 के दशक में एक कीपर ने दावा किया कि रात में दरवाजे
पर दस्तक होती थी, जबकि बाहर कोई नहीं होता था। बाद में वही कीपर एक तूफानी
रात में गायब हो गया, और उसकी लाश कभी नहीं मिली। इतना ही नहीं, कई
कीपर्स ने अपनी नौकरी छोड़ दी, क्योंकि उन्हें अजीब आवाजें सुनाई देती थीं - जैसे कोई चल
रहा हो या खिड़की पर दस्तक दे रहा हो, लेकिन बाहर कुछ भी दिखाई नहीं
देता था। नाविकों का भी कहना था कि उन्होंने इस लाइट हाउस के आसपास अजीब घटनाएं
महसूस की थीं। लाइट हाउस के पास समुद्र में एक सफेद कपड़ों में लिपटी औरत को चलते
हुए देखा लेकिन जैसे ही लहरें उसके पास पहुंचती है वह अचानक गायब हो जाती है लेकिन
क्या वाकई में जुमेंट लाइट हाउस शापित है इसे लेकर कई लोग यह मानते हैं कि कई लाइट
हाउस कई बार शापित हो सकती हैं क्योंकि आसपास हजारों नाविकों की मौत हुई और शायद
उनकी आत्माएं आज भी यहां भटक रही हैं जबकि विज्ञान में भरोसा रखने वाले डॉक्टर्स
का मानना है कि यहां खौफनाक माहौल और तेज हवाएं इंसानों के मन में असर करती हैं
जिससे उन्हें अजीब चीजें महसूस होने लगती हैं अब इस रहस्यमय लाइट हाउस की सच्चाई
क्या है वह आज भी एक पहेली है लेकिन 20वीं सदी के अंत में लाइट हाउस
पर काम करने वाले कई कीपर्स अपने ऐसे भयानक अनुभव साजा कर चुके हैं तो दुनिया भर
के सभी देशों ने अपने लाइट हाउस को ऑटोमेटिक कर दिया और साल 1991 में
जुमेंट लाइट हाउस पर भी किसी कीपर ने कदम नहीं रखा और यह भी ऑटोमेटेड तरीके से
ऑपरेट होता है।
तो दोस्तों अगर आप को मौका मिले तो क्या आप जुमेंट या दुनिया के
किसी भी लाइट हाउस पर हमेशा खतरों से घिरी नौकरी करना चाहोगे या नहीं कमेंट्स में
बताइए अगर यह ब्लॉग अच्छी लगी हो तो इस ब्लॉग को लाइक करें और शेयर करें।
जय हिंद जय भारत
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